Dharmik: दीपावली इस वर्ष 24 अक्टूबर (सोमवार) को मनेगी। दीपों का यह पर्व इस वर्ष बेहद शुभ योग और शुभ मुहूर्त पड़ रहा है। इस वर्ष बिहारवासी हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र और विषकुंभ योग में दीपावली मनाएंगे।
दिवाली (दीपावली) हिंदू धर्म में सबसे बड़ा और खास त्योहार है। इस दिन हर कोई अपने परिवार के सदस्यों के साथ इस त्योहार को मनाने की कोशिश करता है। इसलिए ट्रेनों, बसों आदि के लिए रिजर्वेशन कराने के लिए आप पहले से जानना चाहेंगे कि दिवाली का त्योहार कब है। परंपरा के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।
जानिए कब है दिवाली

दिवाली इस बार अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर और 25 अक्टूबर को आ रही है। लेकिन, 25 तारीख को अमावस्या तिथि प्रदोष काल से पहले समाप्त हो रही है और 24 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल में मौजूद रहेगी। निर्धारित अवधि में भी अमावस्या तिथि उसी दिन रहेगी। इसलिए 24 अक्टूबर को पूरे देश में दीपावली का पर्व विश्वभर में मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्रो के अनुसार संजोग ऐसा हो गया है कि नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है, वह भी इसी दिन होगी है।
लेकिन 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लग रहा है। ग्रहण काल में कोई शुभ कार्य नहीं किए जा सकते हैं। ग्रहण काल के 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है। लेकिन इसका प्रभाव दीपावली पर्व पर नहीं पड़ रहा है। बताते चलें कि 27 वर्ष पहले 1995 को दीपावली के दिन सूर्य ग्रहण का संयोग बना था।
दिवाली पर तारीख संयोग

- रविवार को त्रयोदशी तिथि शाम 6:04 बजे तक रहेगी। उसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू होगी।
- चतुर्दशी तिथि 24 तारीख की शाम 5:28 बजे समाप्त होगी और अमावस्या तिथि शुरू होगी।
- अमावस्या तिथि 25 तारीख की शाम 4:19 बजे तक रहेगी।
दिवाली का महत्त्व

दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री राम ने लंकापति रावण पर विजय प्राप्त की थी और इसी दिन वह 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे। दीपावली, प्रकाश का त्योहार, भगवान राम की वापसी का जश्न मनाने के लिए मनाया गया। कहा जाता है कि जब भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता अयोध्या आए तो लोगों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। दीपावली मिलन का पर्व है इस दिन सभी लोग एक दूसरे के घर जाकर मिठाइयां बांटते हैं।
लक्ष्मी पूजन की विधि

दीपावली के शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार दिए गए मुहूर्त में लक्ष्मी जी की पूजा करना शुभ माना जाता है। इस दिन स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनकर पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करें। पूजा के बाद लक्ष्मी जी की आरती और मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन दान का विशेष महत्व भी बताया गया है।
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