इस प्रोडक्ट को डिज़ाइन करने से पहले इन युवाओं ने देश के उन सूदूर इलाकों का दौरा किया, जहां मिट्टी के चूल्हे इस्तेमाल होते हैं!
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव (महज 302 लोगों की आबादी वाला) ममूरा में रहने वाली 36 साल प्रतिभा देवी बताती हैं, हमारे घर की दीवारें धुएं के कालिख की चादर से ढकी हुई हैं और खाना बनाते समय मेरी आंखों से आंसू निकलते है जलन होती है।
मुल्क की 1 अरब 30 करोड़ की कुल आबादी में दो-तिहाई से अधिक व्यक्ति खाना बनाने के लिए कार्बन उत्पन्न करने वाले ईंधन और गोबर से तैयार होने वाले ईंधन का उपयोग करते हैं। भोजन बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन की कमी से जूझ रही कुल वैश्विक आबादी में अधिकतर लोग भारत, बांग्लादेश और चीन में हैं।
अपने लोगों को खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन न उपलब्ध करा पाने वाले देशों की सूची में भारत अपनी जगह बनाया हुआ है। स्वच्छ ईंधन के स्रोत न होने के चलते लोग इस तरह के सस्ते ईंधन का उपयोग करते हैं जिससे मानव सेहत खासकर घर की महिलाओं और बच्चों के सेहत को गंभीर रूप से कई बीमारियों के शिकार हो जाते है।

इसी सबको देखते हुये कुछ स्टूडेंट्स ने गाँव मे जाकर महिलाओं (Village Women) की तकलीफ समझकर उसका हल निकालने की कोशिश की, जिससे उनको खाना बनाने में कम तकलीफों का सामना करना पड़े। सभी को अच्छा खाना ख़िलाकर खुद भी खुशी का अनुभव करे।
उन्होंने ऐसे ग्रीन चूल्हे का अविष्कार किया जो सभी के लिए खुशियों की सौगात से कम नही है। ग्रीनवे बर्नर स्टोव (Greenway Burner Stove) में सिंगल बर्नर लगा है। इस चूल्हे में लकड़ी, बांस, उपले और यहां तक कि पुआल से भी आग जलाना सम्भव है। इस चूल्हे में बहुत कम मात्रा में ईंधन लगता है और बाकी चूल्हे से 70 प्रतिशत अधिक ऊर्जा देता है।
ग्रीन चूल्हे इस्तेमाल से महिलाओं की मिली खुशी

कुछ सालों से देश में कई स्टार्टअप खुले हैं। ये स्टार्टअप (Startup) अलग-अलग इलाको में अलग-अलग काम कर रहे हैं। ऐसा ही एक स्टार्टअप दो मित्रो की दिमाग का अविष्कार है जो आज हजारों लोगों की जिंदगी में खुशियों की सौगात दे रहा है। यह अविष्कार ग्रीन चूल्हे का है।
इस स्टार्टअप ने ग्रामीण जीवनशैली को कई हद तक सुधारने का काम किया है और वातावरण को भी स्वच्छता और सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है। इस स्टार्टअप (Startup) का नाम ग्रीनवे ग्रामीण इन्फ्रा (Greenway Grameen Infra) है। इस स्टार्टअप से भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में ग्रीन चूल्हे के नाम से प्रसिद्ध हो रहा है। इस पर खाना बनाने के साथ सेहत का भी ध्यान रखा जाता है।
यह स्टार्टअप नेहा और अंकित (Neha Juneja and Ankit Mathur) नाम के दो दोस्तों ने मिलकर इसका आगाज किया। इन दोनों ने अपनी पढ़ाई दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से की है। पढ़ाई के बाद दोनों दोस्तों ने MBA की डिग्री ली और कुछ ऐसा करने का मन मे विचार किया जिससे गांव की महिलाओं को सुविधा मिल सके और बिजनेस को भी नया रूप दे सकें।
उन्होंने गांव में जाकर उनके बीच रहकर महिलाओं की परेशानी जानी फिर उसपर मिलकर विचार किया। क्यो ना ऐसा काम शरू किया जाए जिससे गाँव की महिलाओं को उनके जीवन मे खुशी के साथ अपने बिजनेस को भी बढ़ाया जा सके। इनका मकसद यही था कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे सबको मुनाफा मिले। देश घूमते हुये दोनों दोस्तों ने ग्रामीण महिलाओं को लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाते देखा।
इस स्टार्टअप ने मचाया धमाल
Greenway burner stove made in India pic.twitter.com/ObyrrSeNrE
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लकड़ी के चूल्हे का धुआं ऐसा होता है जिससे किसी को रोना आ जाए। प्रदूषण में इसका बहुत बड़ा रोल तो है ही, इससे महिलाओं की सेहत को भी हानि पहुचती है। इन्ही सब को देखते हुये दोनों दोस्त आगे बढ़ते गए और इस चूल्हे का कोई हल निकालना शुरू किया।
नतीजा हुआ कि दोनों ने एक ऐसे चूल्हे पर विचार किया जिसमें लकड़ी तो जले है, लेकिन धुआं ना के बराबर हो। इस चूल्हे को स्मोकलेस क्लीनस्टोव या ग्रीन चूल्हे का नाम रखा गया। इसमें लकड़ी तो कम लगती है, साथ ही धुआं भी बहुत कम होता है। नेहा और अंकित ने दो और दोस्तों के साथ मिलकर दो और स्टोव बनाने का विचार किया जिनका नाम रखा गया स्मार्ट स्टोव और जंबो स्टोव।

ग्रीनवे बर्नर स्टोव में सिंगल बर्नर (Greenway Smart Stove is a single burner stove) लगा है। इस चूल्हे में लकड़ी, बांस, उपले और यहां तक कि पुआल से भी आग जलना सम्भव है। इस चूल्हे को स्टील और एल्युमिनियम से डिजाइन किया गया है जो देखने में भी आकर्षित है। दूसरा चूल्हा ग्रीनवे जंबो स्टोव है जो ग्रीनवे बर्नर स्टोव से बड़ा है। इसमें खास बात ये है इसमें एयर रेगलेटर लगा जिसकी सहायता से आंच को कंट्रोल कर सकते हैं।
बिजनेस को दिया नया रूप
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नेहा और अंकित ने इन दोनों चूल्हों (Chulah) के बारे में गांवों में घुम-घुम कर लोगों को जागरूक किया और उनको इसके उपयोग के बारे में समझाया जिससे इसका उपयोग कर अपनी सेहत को सही बनाये रखे। शुरू में यह काम इतना इजी नहीं था, लेकिन बाद में चूल्हे का बिजनेस चल पड़ा। एक आंकड़े के अनुसार ग्रीनवे ग्रामीण इन्फ्रा के बनाए लगभग 10 लाख चूल्हे आज इस्तेमाल किये जा रहे हैं।
यह बिजनेस धीरे-धीरे आगे की ओर बढ़ता जा रहा है। सबसे बड़ी बात कि इस स्टार्टअप ने किसी रिटेलर्स की हेल्प से चूल्हे का व्यापर नहीं किया बल्कि सामाजिक संगठनों, महिला सहकारिताओं और माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की हेल्प से लोगों तक पहुंचाया है। गांव के लोगों में इसकी जागरूकता के लिए और इस चूल्हे की खासियत पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया की हेल्प ली।
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